घोटालो का शहर मिरा भाईन्दर शहर
बिल और टेंडर पास केसे होते हैं ?
महाराष्ट्र ,ठाणे : मिली जानकारी के अनुसार *मिरा भयंदर महानगर पालिका* वैसे अपने नित्य नए *भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड* स्वयं तोड़ती रहती है। निर्मल एमएमआर प्रकरण में अभी लोकायुक्त में मामला चल ही रहा है उससे पहले तत्कालीन कार्यकारी *अभियंता श्री दीपक खंबित* जिसने मुख्य आरोपी होते हुए भी अपनी साठ गाठ से आयुक्त द्वारा तत्कालीन उप अभियंता तथा कार्यकारी अभियंता नानेगावकर तथा जानकर को *बलि का बकरा* बनाकर *17 लाख* रुपए का अर्थ दंड लगवाकर खुद पाक साफ बन गए। परंतु मामला आज भी लोकायुक्त महोदय के पास निर्णय हेतु विचरीत है। जिसकी अगली सुनवाई 20 सितंबर को है। निर्मल एम एम आर घोटाले में श्री खंबित के दिमाग तथा आदेश से हाथ की कटपुतली बनते हुए कनिष्ठ अभियंता प्रशांत जानकर द्वारा काशीमीरा , भयंदर पश्चिम तथा उत्तन सागरी पुलिस स्टेशन में 11,12 नवहंबर 2019 को एफआईआर क्रमाक 0668,0340 तथा 0133 अपने काले कारनामों को छुपाने हेतु दर्ज करवाया गया।
पुलिस जांच रिपोर्ट ने पुलिस ने ऐसा कोई प्रेशर पंप चोरी ही नही हुई है यह कहते हुए माननीय न्यायलय में *”B” समरी* फाइल की है। जिससे अब इन अधिकारियों की परेशानी आगे आने वाले दिनों में कम होती नजर आती है । आप सभी नागरिकों को ज्ञात हो की पोलिस थानों में *झूठी एफआईआर* लिखवाना भी एक अपराध है।जिसमे Crpc में सजा का प्रावधान है। जिसे आने आने वाले दिनों में आप सभी के सामने देखने को मिलेगा।
अपनी आदतों के अनुकूल सोची समझी राजनीति के तहत *मास्टर माइंड द्वारा अब पुनः *सालासर कस्ट्रकन* को मनपा में बिजली कार्य का ठेका देकर करोड़ों रुपए गबन का मामला प्रकाश में आया है।
वर्ष 2020 2021 ,2021 22 में करोड़ों रुपए का ठेका अधिकारियों के साठगाठ से दिया गया।
आप के जानकारी हेतु अवगत कराना आवश्यक हो जाता है की यह *सालासर कंस्ट्रक्शन* वह कंपनी है जिसने कंस्ट्रक्शन कार्य हेतु *वसई विरार महानगर पालिका* में ठेका लिया हुआ था। जिसे वहा ब्लैक लिस्टेड किया हुआ है।ऐसी जानकारी सूत्रों से खबर मिली है। इस कंपनी ने मिरा भयंदर महानगर पालिका ने विद्युत कार्य हेतु दो वर्षो से लगातार ठेका दिया गया। मनपा में विद्युत कार्य का ठेका दिया गया। ऐसा सूत्र बताते है की यहां ठेका लेते समय फर्जी *विद्युत का अनुभव प्रमाण पत्र* सबमिट किए गए है।
इस संदर्भ में वसई विरार शहर महानगर पालिका द्वारा मीरा भयंदर महानगर को चेताया गया था फिर भी अपने *काले कारनामों को आदत से इसे नजर अंदाज कर *सालासर कंस्ट्रक्शन* को लगातार दूसरी बार मनपा मिरा भयंदर छेत्र में कार्य करने का ठेका दिया गया।
सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर यह मालूम पड़ा है कि *सालासर कस्ट्रेक्शन* के सभी दस्तावेज कार्यालय से गायब कर दिए गए है। प्रथम अपील में जानकारी देने का आदेश देने के बाद भी दस्तावेज प्रदान नही करवाए गए। जिसकी राज्य सूचना आयोग ने अपील प्रलंबित है।
एक तरफ देश *करोना काल* में घर में बंद था तब सालासर कस्ट्रेक्शन को लगभग 1 करोड़ 66 लाख का *कार्य आदेश देकर और बाद में छोटे छोटे वर्क ऑर्डर से करोड़ों रुपए का हेरा फेरी कर ईमानदार मनपा अधिकारी मिलकर अपना *कारनामा* दिखाकर अपना उल्लू सीधा कर लिया। ऐसी जानकारी प्रकाश में आई है।
आप के जानकारी हेतु बताना चाहता हूं की ऐसी कंपनियां एक मात्र मोहरा होती है जिसे यह अधिकारी बिल बनाने और भुगतान वसूलने हेतु आगे रखते है। यहां तक कि दो करोड़ का संपूर्ण कार्य बाद में उसी कार्य को कुछ महीने बाद रिपेयरिंग का *पांच करोड़* के वार्षिक रख रखाव का ठेका दिया जाता है।😃
जिसे फर्जी बिल बनाकर जब चाहे यह *ठेकेदार* अधिकारी के इशारे पर ATM का काम करते है।
मनपा में हर एक ठेकेदार के बिल भुगतान हेतु “प्रारूप “क” ग्रीन पेपर होता है जिसने उस ठेकेदार को उस वर्ष कब कब कितने रुपए का भुगतान हुए है यह लिखा जाता है। कार्य समाप्ति के कैंपलिशन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है और एक साल या उससे अधिक समय तक खराब होने पर मुफ्त मरम्मत का अनुबंध लिखवाया जाता है। यह बात फाइलों में दब जाती है। फिर सरारती दिमाग के अधिकारी अपना खेल रिपेयरिंग के माध्यम से फ्री में काम करवाकर फर्जी बिल बनवा कर पैसों का खेल खेलती है। ठेकेदारों के आपत्ति पर उसे आगे नए ठेके ना देने की धमकियां देकर ब्लैक मेल करती है मजबूरन कमीशन के खेल में ठेकेदार भी घुल मिलजाना मजबूरी हो जाती है।
अब आगे आने वाले समय यह देखना है की श्री खांबित अब इस नए खेल में किस अधिकारी या अभियंता को लूट में *बलि का बकरा* बनाकर आहुति देंगे?
कैसे निविदा देने हेतु अंदाजित मूल्य से कम दाम में सालासर कस्ट्रकशन को मंजूर किया गया?
पुनः छोटे छोटे कार्यादेश देकर करोड़ों रुपए मनपा से वसूलने का खेल किया गया?
ऐसे इन ठेकेदारों के पीछे कौन कौन अधिकारी अपना खेल रहे है यह आगे *जांच* का विषय है?
क्यू सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी देने ने अधिकारी भयभीत नजर आ रहे है।
क्या इस मुद्दे पर महाराष्ट्र शासन / अन्य सरकारी जांच एजेंसियों को एक्टिव होना जनहित में आवश्यक नहीं है?
मनपा के टैक्स के पैसों को लूटने वाले ऐसे अधिकारी से जनता को राहत मिलेगी यह आगे आने वाले समय में और विस्तृत जानकारी सरकार / जांच एजेंसियों को अवगत करवाया जायेगा।